नई दिल्ली/आशीष भट्ट। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती तल्खी के कारण अब अमेरिका ने चीन को बड़ा झटका दिया है, कोरोना वायरस अमेरिका में फैलने के बाद से ही ट्रंप चीन के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं, अब शत्रु अधिनियम के तहत शी जिनपिंग को जल्द ही अमेरिकी सरकार के किसी भी दस्तावेज में चीन का राष्ट्रपति नहीं कहा जाएगा, यह अधिनियम अमेरिकी अधिकारियों द्वारा जिनपिंग को महासचिव कहे जाने वाली टिप्पणियों का अनुसरण करता है, हालांकि इस सत्र में इसे कानून बनाने के लिए मतदान की संभावना कम है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वाशिंगटन में सांसदों ने संघीय सरकार द्वारा चीन के शीर्ष नेता को पुकारने करने के तरीके को बदलने के लिए विधेयक पेश किया, जिसमें राष्ट्रपति शब्द के उपयोग पर रोक की बात कही गई है, इसमें कहा गया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में भूमिका के अनुसार चीन के शीर्ष नेता को बुलाना चाहिए, वर्तमान समय में चीन के शीर्ष नेता शी जिनपिंग तीन आधिकारिक उपाधि रखते हैं, जिनमें से कोई भी राष्ट्रपति नहीं है. शी जिनपिंग को शीर्ष नेता, केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष और कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में संदर्भित किया जाता है, इसके बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत अंग्रेजी बोलने वाले बाकी देश आम तौर पर चीन के शीर्ष नेता को राष्ट्रपति के रूप में संबोधित करते हैं. इस पर आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपति शब्द का अर्थ जनता द्वारा निर्वाचित नेता के लिए इस्तेमाल होता है, ऐसे में चीन के शीर्ष नेता को राष्ट्रपति कहना एक न चुने हुए नेता को अनुचित वैधता प्रदान करता है.
इस अधिनियम में कहा गया है कि चीन के शीर्ष नेता को राष्ट्रपति के रूप में संबोधित करने से यह धारणा बनती है कि देश के लोगों ने उन्हें लोकतांत्रिक माध्यम से चुना है, जोकि यह धारणा गलत है. इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं माना जा सकता, अधिनियम को रिपब्लिकन पार्टी के सांसद स्कॉट पेरी ने पेश किया है.