नई दिल्ली/आशीष भट्ट। दिल्ली दंगों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है अब इस मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है, हाल में दाखिल किए गए आरोप पत्र के अनुसार स्पेशल सेल को साजिश के पर्याप्त सुबूत मिले हैं, जिससे यह मालूम पड़ता है कि दंगें पीएम नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने के लिए कराए गए थे. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में बड़े स्तर पर हिंसा हुई थी, जिसमें लगभग 50 से ज्यादा की मौत हुई थी, पुलिस की चार्जशीट की माने तो इस साजिश में देश के नामी राजनीतिज्ञों, अधिवक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के नाम सामने आए हैं, इन दंगों में जेएनयू, इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों का भी नाम आया है, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर 22 जगह धरना प्रदर्शन को शुरू किया था।
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आरोप पत्र के मुताबिक स्पेशल सेल को साजिश के पर्याप्त सुबूत मिले हैं, जिसमें कुछ नेताओं के खिलाफ भी सुबूत मिले हैं, स्पेशल सेल के सूत्रों की माने तो सीएए को लेकर दिसंबर में धरना-प्रदर्शन की ही योजना थी, फिर जब फरवरी में ट्रंप के दौरे की बात सामने आई तो मोदी सरकार की छवि को धूमिल करने के लिए दंगे की साजिश रची गई, आरोप पत्र में स्पेशल सेल ने कहा है कि दोनों समुदाय में तनाव बढ़ाने के लिए इन नेताओं ने धरना प्रदर्शन में जाकर भड़काऊ भाषण दिए थे.
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आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प 22 फरवरी को दिल्ली पहुंचे थे, इसके बाद 22 फरवरी को सभी धरनास्थलों पर बैठे लोगों को मुख्य सड़कों को जाम कर दिया था, ठीक इसी के बाद साजिश के तहत उसी दिन जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे सड़क को जाम कर दिया था, और इसके बाद 23 फरवरी को पुलिस पर पथराव कर साजिश को अंजाम दिया. स्पेशल सेल की जांच में पता चला है कि वामपंथी संगठनों व कई नेताओं के साजिश में शामिल होने की जानकारी मिली है, पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) से करोड़ों रुपये की फंडिंग किए जाने के सुबूत पहले ही मिल चुके हैं.