1965 में जब अमेरिका ने भारत को दी थी गेंहू रोक देने की धमकी, तब लाल बहादुर शास्त्री ने दिया ये जवाब!

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नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। बेहद गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद अपने परिश्रम और गुणों द्वारा उन्होंने विश्व इतिहास को अमर कर दिया. पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में कहें तो अत्यंत ईमानदार, शुद्ध आचरण, दृढ़ संकल्प ,महान परिश्रम और ऊंचे आदर्शों में आस्था रखने वाले थे इस देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री. पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था.

महात्मा गांधी थे गुरु

शास्त्री जी का समस्त जीवन देश की सेवा में ही बीता. देश के स्वतंत्रता संग्राम और नवभारत के निर्माण में शास्त्रीजी का महत्वपूर्ण योगदान रहा. लाल बहादुर शास्त्री शुरू से ही महत्मा गांधी के को अपना गुरु मानते थे. उन्होंने महात्मा गांधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में हिस्सा भी लिया था. और इसी कारण उन्हें सात वर्षों के लिए जेल हुई थी. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और गरीबों के कल्याण में समर्पित कर दिया. 1964 में जवाहर लाल नेहरू जी के निधन के बाद वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने. 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया था. इतिहासकारों के मुताबिक इस नारे के पीछे बड़ी दिलचस्प बात है.

गेहूं के निर्यात पर रोक

दरअसल, 1962 में भारत चीन युद्ध हुआ था और चीन को इस युद्ध में जीत हासिल हुई. उसके बाद भारत आर्थिक रूप से बहुत कमज़ोर पड़ चुका था. जब लाल बहादुर शास्त्री जी देश के दूसरे प्रधानमंत्री तब भारत खाने के संकट से जूझ रहा था. पूरा देश में आकाल पड़ गया और भुखमरी फैल गई थी. इसी संकट में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया. लेकिन इस बार भारतीय सेना ने जोरदार जवाब दिया .. उसके बाद भारतीय सेना ने के हवाई अड्डे पर हमला करने की सीमा के भीतर पहुंच गई. इस हमले से घबराकर अमेरिका ने अपने नागरिकों को लाहौर से निकालने के लिए कुछ समय के लिए युद्धविराम की अपील थी. देश के हालात को देखकर  उस समय हम अमेरिका की पीएल-480 स्कीम के तहत हासिल लाल गेहूं खाने को बाध्य थे. अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री जी को धमकी दी और कहा कि अगर युद्ध को विराम नहीं दिया गया तो गेहूं का निर्यात बंद कर दिया जाएगा. उसके छोटे कद और विशाल ह्रदय रखने वाले शास्त्री जी ने कहा- आप बंद कर दीजिए गेहूं देना.

जय जवान जय किसान

अमेरिका की इस धमकी के बाद अक्टूबर 1965 में दिल्ली के रामलीला मैदान में शास्त्री जी ने देश की जनता को संबोधित किया. अपने देश और देश के नौजवानों के सम्मान के लिए उन्होंने देशवासियों से हाथ जोड़ कर एक दिन का उपवास रखने की और पूरे दिन में एक बार खाना खाने की अपील की. इतना ही नहीं वह खुद दिन में सिर्फ़ एक बार खाना खाते थे. साथ ही कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने पहली बार ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया. शास्त्री जी का ये नारा जवान एवं किसान के श्रम को दर्शाता है. उनके इस नारे का प्रयोग आज भी रैलियों और सभाओं में किया जाता है. 

ताशकंद समझौता

सन्‌ 1965 के भारत-पाक युद्ध विराम के बाद उन्होंने कहा था कि अब हमें शांति की स्थापना के लिए पूरी ताकत लगानी है.’ शांति की स्थापना के लिए ही उन्होंने 10 जनवरी 1966 को ताशकंद में पाकिस्तानी राष्ट्रपति अय्यूब खाँ के साथ ‘ताशकंद समझौते’ पर हस्ताक्षर किए. उसके बाद कुछ ऐसा हुआ उस समय इस बात पर विश्वास करना मुश्किल था. भारत की जनता के लिए यह दुर्भाग्य ही रहा कि ताशकंद समझौते के बाद वह महान पुरुष की मृत्यु हो गई. कहा जाता है कि ताशकंद में ही हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया.

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