नई दिल्ली/आशीष भट्ट। रूस से दावा किया है कि उसने कोरोना की पहली सफल वैक्सीन बना ली है, जिसकी जानकारी खुल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दी, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी बेटी को भी वैक्सीन लगाए जाने की पुष्टि की. लेकिन अब इस वैक्सीन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस वैक्सीन को लेकर पहले हि ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी जैसे देश और विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिक आपत्ति जता चुके हैं. अब इसके पंजीकरण के दौरान पेश किए गए दस्तावेजों से कई खुलासे हुए हैं, दस्तावेजों के अनुसार, वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर पूरी क्लीनिकल स्टडी हुई ही नहीं है.
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डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रायल के दौरान 42 दिन में केवल 38 वॉलंटियर्स को वैक्सीन की खुराक दी गई, जबकि ट्रायल के तीसरे चरण की कोई भी जानकारी सामने नहीं आई है, रूस ने दावा किया था कि वैक्सीन के कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं, जबकि रजिस्ट्रेशन के दौरान प्रस्तुत किए गए दस्तावेज बताते हैं कि 38 में से 31 लोगों में 144 तरह के साइडइफेक्ट दिखे हैं.
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वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी रूस की वैक्सीन पर सवाल खड़े किए हैं WHO ने बताया कि, रूस ने वैक्सीन को तैयार करने के लिए तय दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया, इस तरह इस वैक्सीन की सफलता पर विश्वास करना मुश्किल है, WHO के साथ ही कई देशों के विशेषज्ञ इस वैक्सीन पर सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि दिशानिर्देशों को नजरअंदाज कर वैक्सीन लाना सही नहीं है, इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा. लेकिन रूस ने तमाम आरोपों को नजरअंदाज़ करते हुए अपनी वैक्सीन को सही बता रहा है.
वहीं दस्तावेजों की माने तो सच्चाई कुछ और दिखाई पड़ती है यह वैक्सीन जिन लोगों को दी गई, उनमें शरीर का तापमान बढ़ना, शरीर में दर्द, बुखार, जैसी परेशानियां देखी गईं. और शरीर के जिस हिस्से में टीका लगाया गया, वहां खुजली और सूजन की समस्या हुई. इस तरह के साइड इफेक्ट भी देखने को मिले, वहीं, सिरदर्द, डायरिया, गले में सूजन, भूख न लगने और थकान जैसे साइडइफेक्ट वॉलेंटियर्स में कॉमन थे.