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दक्षिण भारत का वो मंदिर जिसका निर्माण 1500 किलो सोने से हुआ था…

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नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। भारत में बहुत से अद्भुद मंदिर हैं कोई अपने रहस्य को लेकर पर्सिद्घ है तो कोई अपनी मान्यताओं को लेकर. हर एक मंदिर किसी ना किसी वजह से ख़ास माने जाते हैं. ऐसा ही एक मंदिर तमिलनाडु के वेल्लूर से सात किलोमीटर दूर थिरूमलाई कोडी में है, जिसे श्री लक्ष्मी नारायणी मंदिर(shri lakshmi narayan temple) के नाम से जाना जाता है.
इस मंदिर को दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर और गोल्डन टेंपल भी कहा जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मंदिर 1500 किलो शुद्ध सोने से बना है. यह मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. आपको बता दें कि विश्व के किसी मंदिर को बनाने में इतना सोना नहीं लगा.

मंदिर का निर्माण

यह मंदिर लगभग 100 एकड़ जमीन पर बना हुआ है, जिसे बनने में करीब सात साल का समय लगा है. इसके निर्माण में करीब 300 करोड़ रुपये की लागत आई थी. कहते हैं कि विश्व में किसी मंदिर का निर्माण में इतना सोना नहीं लगा, जितना श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में लगता गया.

सोने की चमक से चमकता है पूरा मंदिर

वैसे तो दिन में सूरज की रोशनी पड़ने पर यह मंदिर खूब चमकता है. लेकिन रात को इस मंदिर का नजारा देखने लायक होता है. रात के समय जब मंदिर में प्रकाश किया जाता है तो इसमें लगे सोने की चमक देखते ही बनती है। 24 अगस्त 2007 को पहली बार इस मंदिर को दर्शन के लिए खोला गया था।

ऐसा है मंदिर परिसर

दर्शनार्थी मंदिर परिसर की दक्षिण से प्रवेश कर क्लाक वाईज घूमते हुए पूर्व दिशा तक आते हैं, जहां से मंदिर के अंदर भगवान श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन करने के बाद फिर पूर्व में आकार दक्षिण से ही बाहर आ जाते हैं. इसके अलावा, इस मंदिर परिसर में छोटा सा तालाब है. साथ ही,मंदिर परिसर में करीब 27 फीट ऊंची एक दीपमाला भी है, जिसे जलाने पर सोने से बना यह मंदिर एकदम जगमगा उठता है. इस दीपमाला जितनी सुंदर है उससे अधिक भक्तों के लिए इसका महत्त्व है. उनके लिए इस दीपमाला के दर्शन करना अनिवार्य होता है. मंदिर के निर्माण में लगे सोने की वजह से ही इसकी सुरक्षा में 24 घंटे पुलिस के जवान और गार्ड तैनात रहते हैं. मंदिर के पास ही श्री नारायणी अस्पताल और अनुसंधान केंद्र भी है, जिसे ‘श्री नारायणी पीडम’ चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ही चलाया जाता है.

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