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चीन के कड़े विरोध के बाद भी भारतीय सेना गलवान घाटी पर पुल बनाने में हुई कामयाब.

नई दिल्ली/आर्ची तिवारी। लद्दाख में स्थित गलवान घाटी में कई दिनों से पुल निर्माण का कार्य चल रहा था, जिससे जवानों की आवाजाही में आसानी हो पर चीन के लगातार विरोध करने के बावजूद भी भारत अपने इस कार्य में सफल रहा. सरकार के सूत्रों ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी. इस क्षेत्र में 60 मीटर लंबा यह पुल श्योक और गलवान नदियों के संगम से पूर्व में करीब 4 किलोमीटर दूर स्थित है और संकरे पर्वतीय क्षेत्र को श्योक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग से जोड़ता है।

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सैनिकों को गस्त लगाने में होगी आसानी

गलवान घाटी में पुल बन जाने से जवानों को आवाजाही में बहुत आसानी हो सकेगी. इस पुल के निर्माण पर चीन के लगातार विरोध करने का कारण यही था कि अगर भारतीय सिपाहियो के लिए गलवान सीमा पर सड़क बन गई तो चीनी सेना को भारत के अंदर घुसपैठ करने में दिक्कत आ सकती है. इसी कारण से 15 जून को चीन और भारत के बीच झड़प हो गई और भारत के 20 से ज्यादा जवान शहीद हो गए. चीन ने अभी तक अपने जवानों के शहीद होने के खबरों की कोई पुष्टि नहीं की है. वहीं भारत का मानना है कि चीन के कम से कम 45 जवान भारतीय सैनिकों के हाथों मारे गए हैं. सोमवार को हुई झड़प, नाथू ला में 1967 में हुई झड़पों के बाद दोनों सेनाओं के बीच अब तक का सबसे बड़ा टकराव था. नाथू ला में हुई झड़पों में भारतीय सेना के 80 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे.

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