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घर की नींव रखते दौरान चांदी से बने नाग नागिन का जोड़ा क्यों रखा जाता है? जानिए

नई दिल्ली /दीक्षा शर्मा। हिन्दू धर्म में अनेक तरह के रीति रिवाज और परंपराएं हैं और इन सभी के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक या धार्मिक कारण जरूर होता है. सभी परम्पराओं के अपना अपना महत्व है. ऐसी ही एक परंपरा है घर का निर्माण करवाने से पूर्व भूमि पूजन करने की. धार्मिक परम्पराओं के अनुसार, नए घर का भूमि पूजन के दौरान नींव में कुछ चीजें डाली जाती हैं. इनमें चांदी के नाग-नागिन को जोड़ा प्रमुख है. लेकिन क्या आप जानते हैं भूमि पूजन के दौरान यह नाग नागिन का जोड़ा क्यों डाला जाता है?

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दरअसल, भूमि पूजन करते समय नाग नागिन का जोड़ा इसलिए डाला जाता है क्योंकि मान्यता है कि ऐसा करने से भूमि का दोष खत्म हो जाता है. इस परंपरा के पीछे धार्मिक मान्यता के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक पक्ष भी छिपा है.

माना जाता है कि पृथ्वी के नीचे पाताल लोक है और इसके शेषनाग हैं. पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है-
शेषं चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम्।
यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम्।।

नींव पूजन का पूरा कर्मकांड इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फन पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए हैं, ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फन पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहे. शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं. इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान पर शेषनाग को बुलाया जाता है, ताकि वे घर की रक्षा करें.

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ग्रंथों के अनुसार, हजार फनों वाले शेषनाग सभी नागों के राजा हैं. भगवान की शय्या बनकर सुख पहुंचाने वाले, उनके अनन्य भक्त हैं. मकान की नींव में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा इस मान्यता के साथ डाला जाता है कि अब इस घर में भगवान का वास होगा और बुरी शक्तियां यहां नहीं आ पाएंगी.

मनोवैज्ञानिक पक्ष

भूमि पूजन इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फन पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए हैं, ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फन पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित र रहें.

शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं. इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान कर शेषनाग को बुलाया जाता है, ताकि वे घर की रक्षा करें.

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