नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। कोई भी धार्मिक कार्य की शुरूआत करते वक्त हम सभी प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की अराधना करते हैं. और सभी देवी देवताओं में से भगवान गणेश का नाम सबसे पहले लिया जाता है. इसके अलावा विवाह जैसे शुभ कार्यों की पूजापाठ में सभी देवताओं के बीच गणेशजी का स्थान सर्वश्रेष्ठ होता है. लेकिन जब बात गणेश भगवान की दो विवाह की आती है तो, बता दें कि इसके पिछे भी दो कथाएं प्रचलित है. क्या आप जानते है उनका विवाह रिद्धि सिद्धि के साथ कैसे हुआ?
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भगवान गणेश को मिला था श्राप
पौराणिक कथा की अनुसार कहा जाता है कि एक बार गणेश भगवान गंगा किनारे बैठकर तप कर रहे थे और तुलसी अपने वर कि तलाश में घूम रही थी. उसी वक्त माता तुलसी को गंगा किनारे भगवान गणेश दिखाई दिए और वह उन पर मोहित हो गई. उसके बाद तुलसी ने उनकी तपस्या भंग कर विवाह का प्रस्ताव रखा. तपस्या भंग होने के कारण भगवान गणेश बहुत क्रोधित हुए और उनका प्रस्ताव स्वीकारने से मना कर दिया. प्रस्ताव स्वीकार ना करने से तुलसी माता भी गुस्सा हो गई और गणेश जी को श्राप दिया और कहा कि उनके दो विवाह होंगे.
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ब्रह्माजी की मानस पुत्रियां थीं रिद्धि सिद्धि
दूसरी कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि भगवान गणेश अपने रूप और आकर से परेशान थे. इसी परेशानी से निकलने के लिए उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू कर दिया. और जहां भी शादी होती थी, वहां विघ्न डाल देते थे, ताकी विवाह ना हो सके. उन्हें लगता था कि उनका विवाह नहीं हो पाएगा. उनकी परेशानियों को देखते हुए ब्रह्माजी के योग से दो कन्याएं रिद्धि और सिद्धि प्रकट हुईं.
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इस तरह हुआ विवाह…
एक दिन गणेशजी को पता चला कि मुझे छोड़ कर सबके विवाह हो गए तभी उन्हें क्रोध आया और वो रिद्धि सिद्धि को श्राप देने लगे. तभी ब्रह्माजी प्रकट हुए और उन्होंने रिद्धि सिद्धि से विवाह करने का प्रस्ताव रखा. इसके बाद रिद्धि सिद्धि का विवाह भगवान गणेश जी के साथ हुआ.