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आत्महत्या के बारे में सोचने के बाद ऐसे उभरे सुरों के सरताज

नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। म्यूजिक इंडस्ट्री में सूफी गायक कैलाश खेर ने आज अपनी एक अलग पहचान बना ली है. उनकी आवाज़ और गायिका के अंदाज़ ने तो सबको दीवाना कर रखा है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था. उनके पिता कश्मीरी पंडित थे और लोकगायक गीतों में अपनी रुचि रखते थे. जिस वजह से 4 साल की उम्र से ही कैलाश खेर को गाना गाने का जुनून चढ़ गया था.

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14 साल की उम्र में छोड़ा था घर

कैलाश खेर को संगीत का बहुत शौक थे और उन्होंने फैसला लिया कि वह अपनी ज़िन्दगी गायक बनकर ही बिताएंगे. लेकिन उनके परिवार वालों को यह मंजूर नहीं था उन्होंने कैलाश खेर के इस फैसले का खूब विरोध लिया. उसके बाद अपने परिवार से बगावत कर 14 साल की उम्र में अपने घर छोड़ दिया और दिल्ली चले आए.दिल्ली खर्चा उठाने के लिए उन्होंने छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया.

सुसाइड करने की कोशिश

साल 1999 में उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू कर दिया था. जिसमें उन दोनों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा.जिसके बाद कैलाश ने आत्महत्या तक की कोशिश की थी. जब उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने ऋषिकेश का रुख किया.

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अल्लाह के बंदे

2001 में कैलाश खेर मुंबई आ गए और उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया.
कैलाश खेर को पहचान तब मिली जब उन्होंने ‘अल्लाह के बंदे’ गाना गाया. इस गाने की लोकप्रियता ऐसी रही कि इसके बाद कभी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. बता दें कि खेर को साल 2017 में ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

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