कौन से हैं वो बिल जिस पर किसान कर रहें हैं विरोध, यहां जानिए पूरी डिटेल

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नई दिल्ली/आशीष भट्ट। मोदी सरकार के कड़े विरोध के बाद भी मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन बिलों को लोकसभा में पेश कराने के बाद पारित करा लिया, विपक्ष के साथ ही NDA की सहयोगी अकाली दल ने भी इस पर विरोध किया और यहां तक कि मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा भी दे दिया, इस बिल का कड़ा विरोध हो रहा है, कई किसान संगठन इसे किसान विरोध बता रहे हैं लेकिन पीएम मोदी ने इस पर कहा कि लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त करेंगे, इस कृषि सुधार से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए नए-नए अवसर मिलेंगे, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा, इससे हमारे कृषि क्षेत्र को जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा, वहीं अन्नदाता सशक्त होंगे। कौन कौन से हैं ये बिल आइए जानते हैं।

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पहला बिल है कृषक उपज व्यापार व वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल, 2020

इसमें यह प्रावधान होंगे– अब किसान अपनी उपज के दाम खुद ही तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे, किसान की फसल सरकारी मंडियों में बेचने की बाध्यता खत्म हो जाएगी, किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी को भी बेच सकते हैं, किसान लेन-देन की लागत घटाने को मंडी से बाहर टैक्स नहीं वसूला जा सकेगा, व्यापारिक प्लेटफार्म मतलब फसल की ऑनलाइन खरीद फरोख्त भी संभव हो सकेगी, व्यापारिक विवाद का 30 दिन के अंदर किया जाएगा निपटारा किया जाएगा।

दूसरा बिल है कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार बिल-2020 के प्रावधान

इसमें यह प्रावधान होंगे– फसल बोने से पहले ही किसान तय कीमत पर बेचने का अनुबंध कर पाएगा, कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार किए जाने का प्रावधान किया गया है, कृषि फर्मों, प्रोसेसर्स, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं व निर्यातकों से किसानों को जोड़ेगा, उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, पूंजी निवेश के लिए भी निजी क्षेत्र से अनुबंध का मौका मिलेगा, कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी से रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ाएगा।

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तीसरा बिल है आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) बिल-2020 के प्रावधान

इसमें यह प्रावधान हैं– कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की राह खुलने से आधुनिक खेती का दौर आएगा, अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर होंगे, कृषि या एग्रो प्रोसेसिंग के क्षेत्र में निजी निवेशकों को व्यापारिक परिचालन में नियामक हस्तक्षेप से छुटकारा मिलेगा, किसानों को अपने उत्पाद, उत्पाद जमा सीमा, आवाजाही, वितरण और आपूर्ति की छूट दी जाएगी, किसान अब क्षेत्रीय मंडियों के बजाय दूसरे प्रदेशों में ले जाकर फसल बेच सकते हैं, निजी कंपनियों को सीधे किसानों से खरीद की छूट दी जाएगी।

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