नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। वैसे तो आपने प्रथम विश्व युद्ध के बारे में इतिहास की कई किताबों में बहुत कुछ पढ़ा होगा. यह विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक लड़ा गया था. यह महायुद्ध यूरोप, एशिया और अफ्रीका तीन महाद्वीपों के समुद्र, धरती और आकाश में लड़ा गया था, लेकिन मुख्य रूप से इसे यूरोप का महायुद्ध ही कहा जाता है. क्या आपको पता है इस युद्ध को विश्व युद्ध क्यों कहा जाता है? दरअसल, इस लड़ाई में भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) और इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे ‘विश्व युद्ध’ कहा जाता है.
विश्व युद्ध की वजह
कहा जाता है कि इस प्रथम विश्व युद्ध की वजह से करीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में आ गई थी और इस युद्ध के दौरान लगभग एक करोड़ लोगों की मौत हुई थी. जबकि दो करोड़ से ज्यादा लोग घायल हो हुए थे. इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे थे.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस युद्ध के समाप्त होते-होते दुनिया के चार बड़े साम्राज्यों रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया (तुर्क साम्राज्य) का विनाश हो गया था. इसके बाद यूरोप की सीमाएं फिर से निर्धारित हुईं और साथ ही अमेरिका भी एक ‘महाशक्ति’ के रूप में दुनिया के सामने उभरा.
दरअसल, प्रथम विश्व युद्ध के लिए किसी एक घटना को उत्तरदायी नहीं ठहरा सकते हैं, इस युद्ध को 1914 तक हुई विभिन्न घटनाओं और कारणों का परिणाम माना जा सकता है. हालांकि फिर भी इस युद्ध का तात्कालिक कारण तो यूरोप के सबसे विशाल ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की बोस्निया में हुई हत्या को ही माना जाता है. 28 जून, 1914 को उनकी हत्या हुई थी, जिसका आरोप सर्बिया पर लगाया गया था. इस घटना के एक महीने बाद ही यानी 28 जुलाई, 1914 को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद इस युद्ध में विभिन्न देश शामिल होते गए और आखिरकार इसने विश्व युद्ध का रूप ले लिया.
प्रथम विश्व युद्ध का आखिरी दिन
11 नवंबर 1918 को आधिकारिक रूप से जर्मनी के सरेंडर करने के बाद यह युद्ध समाप्त हो गया. इसी कारण 11 नवंबर को प्रथम विश्व युद्ध का आखिरी दिन भी कहा जाता है. इसके बाद 28 जून 1919 को जर्मनी ने वर्साय की संधि, जिसे शांति समझौता भी कहते हैं, पर हस्ताक्षर किए, जिसकी वजह से उसे अपनी भूमि के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा. साथ ही उसपर दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबंदी लगा दी गई और उसकी सेना का आकार भी सीमित कर दिया गया. माना जाता है कि वर्साय की संधि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया था. इस वजह से हिटलर और जर्मनी के अन्य लोग इसे अपमान मानते थे और माना जाता है कि यही अपमान दूसरे विश्व युद्ध की वजह भी बना.