नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। देश में वैसे तो कई अनोखे मंदिर हैं जिनमें होने वाले चमत्कारों के बारे में विज्ञान भी नहीं जान पाया है. और ना ही भारतीय संस्कृति में चमत्कार और रहस्य की कमी है. हर मंदिर की अपनी गाथा और महत्व है. राजस्थान (rajasthan) के दोसा (dosa) जिले के पास दो पहाड़ियों के बीच मेहंदीपुर बालाजी (mehndipur balaji) का मंदिर स्थित है. इस मंदिर में आपको एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा.कई लोग पहले बार यह चमत्कार देख कर हैरत में पड़ जाते हैं और डर भी जाते हैं. विज्ञान भूत प्रेत को नहीं मानता लेकिन यहां हर दिन दूर दराज से ऊपरी चक्कर और प्रेत बाधा से परेशान लोग मुक्ति के लिए आते हैं.
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प्रसाद के प्रकार
बालाजी मंदिर की यह खासियत है कि यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है. कहते हैं कि बालाजी के प्रसाद के दो लड्डू खाते ही भूत-प्रेत से पीड़ित व्यक्ति के अंदर मौजूद भूत प्रेत छटपटाने लगता है और अजब-गजब हरकतें करने लगता है. यहां पर चढ़ने वाले प्रसाद को दर्खावस्त और अर्जी कहते हैं. मंदिर में दर्खावस्त का प्रसाद लगने के बाद वहां से तुरंत निकलना होता है. जबकि अर्जी का प्रसाद लेते समय उसे पीछे की ओर फेंकना होता है. इस प्रक्रिया में प्रसाद फेंकते समय पीछे की ओर नहीं देखना चाहिए.
प्रसाद को नहीं ले जा सकते घर
आमतौर पर मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद लोग प्रसाद लेकर घर आते हैं लेकिन मेंहदीपुर बालाजी मंदिर से मेहंदीपुर में चढ़ाया गया प्रसाद यहीं पूर्ण कर जाएं. यहां के किसी भी प्रसाद को आप घर नहीं ले जा सकते. यहां तक की कोई खाने पीने और सुंगधित चीज आप यहां से अपने साथ नहीं के जा सकते. मान्यता है कि ऐसा करने पर ऊपरी साया (भूत प्रेत) आपके ऊपर आ जाती है.
बाईं छाती में है छेद
मेहंदीपुर बालाजी की बाईं छाती में एक छोटा सा छेद है. कहते हैं कि इस छेद से लगातार जल बहता रहता है. कहते हैं कि यह भगवान बालाजी का पसीना है.
दिन में लगता है दरबार
भूत प्रेत से छुटकारा पाने के लिए था दूर दूर से लोग आते हैं. ऊपरी बाधाओं से निवरण के लिए यहां भक्तों का तांता लगा रहता हैं. इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान की मूर्ति है. हर दिन 2 बजे प्रेतराज सरकार के दरबार में कीर्तन होते है, जिसमें लोगों पर आए ऊपरी साए को दूर किया जाता है.
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भक्त करते हैं इन नियमों का पालन
मेहंदीपुर बालाजी की मूर्ति के ठीक सामने सिया राम की मूर्ति है. उस मूर्ति के भक्त हमेशा दर्शन करते हैं. यहां हनुमान जी बाल रूप में मौजूद स्थापित हैं. यहां आने वाले सभी श्रद्धालु एक हफ्ते तक लहसून, प्याज, अंडा, मांस, मछली और शराब का सेवन बंद कर देते हैं.