नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। (Rahasya) हिन्दू धर्म में देवी देवताओं को लेकर तरह तरह की प्रचलित मान्यताएं और कथाएं हैं. शास्त्रों के मुताबिक यह मान्यताएं प्राचीन समय से चलते आ रही है. इसी ही एक प्रचलित मान्यता यह है कि भगवान कृष्ण को छप्पन प्रकार के भोग लगाए जाते हैं. सनातन संस्कृति में भगवान कृष्ण को छप्पन भोग का बहुत महत्व है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान कृष्ण को लगने वाला भोग छप्पन ही क्यों है?
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शास्त्रों में भगवान कृष्ण को छप्पन प्रकार के भोग लगने के पिछे कई तरह की कहानियां प्रचलित है. एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि माता यशोदा भगवान कृष्ण को एक दिन में आठ प्रहर भोजन कराती थी. कहते हैं कि एक बार इन्द्र के प्रकोप से जब सारे ब्रज को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था, तब सात दिनों तक भगवान कृष्ण ने अन्न और जल त्याग दिया था. आठवें दिन जब भगवान कृष्ण ने देखा कि वर्षा बंद हो गई तब उन्होंने सभी गांववासियों से पर्वत से नीचे उतरने को कहा.
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(Rahasya) उसके बाद सभी लोगों ने मिलकर माता यशोदा सहित सातों दिन और आठों प्रहर के हिसाब से व्यंजनों का भोग भगवान कृष्ण को लगाया. इसलिए भगवान कृष्ण को तो छप्पन प्रकार का भोग लगाया जाता है.
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