नई दिल्ली/आर्ची तिवारी। कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहे डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को अधिक सुविधाएं मुहैया कराने के लिए याचिका दायर की गई थी. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा कि “डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को भारत सरकार के द्वारा दी गई सुविधांए असंतोषजनक हैं इसमें भारत सरकार को बदलाव करके और अच्छी व्यवस्था मुहैया कराने का प्रबंध करना चाहिए.
यह याचिका वकील “मीथू जैन” और “अर्जुन सियाल” द्वारा डाली गई थी जिसके समर्थन में वरिष्ठ परिषद “के वी विश्वनाथन” ने कहा कि डाक्टरों को अस्पताल से अलग पास में एक अपना ठरने का स्थान देना चाहिए जहां सभी सुविधाएं उनके लिए मौजूद हों. ऐसे समय में सभी डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को उनके काम के अनुसार उनको सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए. बहुत जगहों से तो समय पर सैलरी भी नहीं मिल रही है और कुछ जगहों पर सैलरी काट काट कर दी जा रही है, इन स्थितियों को सरकार जल्द से जल्द से ठीक करने की कोशिश करे.
विश्वनाथन SOP का हवाला देते हुए कहते हैं कि “जोखिम उठाने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संगरोध किया जाएगा. यदि वे सकारात्मक परीक्षण करते हैं और स्पर्शोन्मुख रहते हैं तो वे लाइट प्रोटोकॉल का पालन करेंगे. यह भेद समस्यात्मक है…”
वहीं न्यायाधीश भूषण का मानना है कि “हम COVID-19 युद्ध में असंतुष्ट सैनिकों (डॉक्टरों) को नहीं दे सकते. आपको यह देखने के लिए अतिरिक्त मील की यात्रा करने की आवश्यकता है कि उनके लिए और क्या किया जा सकता है…”
MOHFW ने क्या कहा
कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा डॉक्टरों के संरक्षण और संगरोध के लिए उनके अलग आवास के लिए कोई सुझाव आज ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के सचिव को दिया जाना चाहिए और इस मामले की सुनवाई 17 जून को तय की गई है.
वहीं इस प्रश्न के उत्तर में MOHFW ने कहा है कि “जबकि स्वास्थ्य सुविधा में अस्पताल संक्रमण नियंत्रण समिति संक्रमण निवारण और नियंत्रण गतिविधियों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है, लेकिन अंतिम जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्रालय की देखभाल के साथ है. यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे खुद को प्रशिक्षित करें और संक्रमण को रोकने के सभी उपाय करें. ”