नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन किया था. भूमि पूजन से पहले उन्होंने पारिजात का पौथा भी लगाया और तब से यह पौधा काफ़ी चर्चा में है. हिंदू धर्म ग्रंथों में इस पौधे का विशेष महत्व बताया गया है. लेकिन ऐसा क्या है इस पौधे का महत्व और खासियत जिसकी वजह से इसे भूमि पूजन समारोह का हिस्सा बनाया जा रहा है.
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आपको ये बता दें कि पारिजात का पौधा दिखने में बेहद ही खूबसूरत और आकर्षित होता है. पारिजात के फूल को भगवान हरि के श्रृंगार और पूजन में प्रयोग किया जाता है, यही कारण है कि इसके फूल को को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म में इस वृक्ष का बहुत महत्व और मान्यता है. यही नहीं शास्त्रों में तो पारिजात को कल्पवृक्ष भी कहा गया है. जानकारी के लिए बता दें कि पारिजात का वृक्ष ऊंचाई में दस से पच्चीस फीट तक का होता है. इसके इस वृक्ष की एक खास बात ये भी है कि इसमें बहुत बड़ी मात्रा में फूल लगते हैं.
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समुद्र मंथन से निकला था पारिजात
दैत्यों और देवताओं द्वारा जब समुद्र मंथन किया गया तो उसमें से देवी लक्ष्मी, अमृत आदि बहुत से रत्न निकले थे. उनमें से पारिजात का वृक्ष भी एक था. समुद्र मंथन से निकले पारिजात वृक्ष को देवराज इंद्र ने स्वर्ग में स्थापित किया था. उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण उस वृक्ष को स्वर्ग से धरती पर लेकर आए.
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औषधीय गुणों से भरपूर
पारिजात औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है. इसके फूल व पत्तियों से कई तरह की बीमारियां का उपचार होता है. इसके बीज के सेवन से बवासीर रोग में आराम मिलता है. फूलों के रस के सेवन से हृदय रोग से बचा जा सकता है. पारिजात की पत्तियों से त्वचा संबंधित रोग ठीक हो जाते है.
अगर आप इसके फूलों के रस का सेवन करते हैं तो आप दिल की बीमारी से बच सकते हैं. इसके अलावा अगर किसी को पेट की समस्या हो तो इसके रस द्वारा ठीक किया जा सकता है.
पारिजात के पौधे से शरीर के घाव भी जल्दी भर जाते हैं, इसके लिए पारिजात के फूलों के बीजों को पीस कर एक पेस्ट तैयार करके शरीर पर मौजूद फोड़े-फुंसी या किसी भी तरह के घाव पर लगाने से उनमें राहत मिलती हैं और जल्द ठीक भी हो जाते हैं.