नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” का नारा लगाने वाले नेताजी सुभाषचन्द्र बोस आखि़र अचानक कहां गायब हो गए थे? वह किस वजह से गायब हुए या उनकी मौत हुई? यह अनसुलझा रहस्य 18 अगस्त 1945 से कायम है. सुभाष चन्द्र बोस को सब लोग नेता जी के नाम से भी जाते थे, वह भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे. और 29 जनवरी 1939 को तिलवाराघाट त्रिपुरी में आयोजित कांग्रेस के 52 वें अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था. इसके साथ उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था. उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा, बन गया है.
ब्रिटिश सरकार ने दिया था आदेश
अगर हम इतिहास की बात करें तो कहा जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ़ उन्होंने जापान और जर्मनी सरकार से मदद लेने की कोशिश की थी. उसके बाद 1941 में ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था. सुभाष चन्द्र बोस ने ही 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने ‘सुप्रीम कमाण्डर’ सेना को सम्बोधित करते हुए “दिल्ली चलो” का नारा दिया था
कहां गए नेताजी
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु को लेकर कई तरह की बातें कही जाती है. कहा जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद, नेताजी को नया रास्ता ढूंढना जरूरी था. उन्होंने रूस से सहायता मांगने का निश्चय किया था. उसके बाद18 अगस्त 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचूरिया की तरफ निकल पड़े. और उस दिन के बाद से नेता सुभाष चन्द्र बोस को किसी ने नहीं देखा. कहते हैं कि जिस विमान से वो जा रहे थे वह ताइवान के ताइहोकू एयर पोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें उनकी मृत्यु हो गई. हालांकि उनकी मौत का रहस्य अभी तक विवाद बना हुआ है. इसके विपरित यह भी कहा जाता है कि उनकी मौत किसी विमान हादसे में नहीं हुई. इतिहासकारों के मुताबिक भारत के आजाद होने के बाद उन्हें साधु के रूप में जीवन बिताने हुए भी देखा गया है. आज तक उनकी मौत के रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है।