नई दिल्ली/प्रतिबिंब टीम। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अब इस दुनिया में नहीं रहे. उन्होंने आज शाम इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. प्रणव मुखर्जी बहुत समय से बीमार चल रहे थे और कोमा में थे. बीते दिनों उनका कोरोना भी पॉजिटिव आया था. प्रणब मुखर्जी ने 84 साल की उम्र में अपनी आखरी सांस अस्पताल में ली. प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन की जानकारी दी…
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प्रणब मुखर्जी के बेटे ने ट्वीट कर लिखा कि “भारी दिल के साथ, यह आपको सूचित करता हूं कि मेरे पिता श्री #PranabMukherjee का निधन हो गया है, आरआर अस्पताल के डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों और पूरे भारत में लोगों की दुआओं और प्रार्थनाओं के बावजूद आज वो इस दुनिया में नहीं रहे, मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूं 🙏.”
बता दें कि प्रणब मुखर्जी साल 2012 देश के राष्ट्रपति बने थे, 2017 तक वो राष्ट्रपति रहे. साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि. पीएम मोदी ने दुःख व्यक्त करते हुए लिखा कि “प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा देश दुखी है, वह एक स्टेट्समैन थे. जिन्होंने राजनीतिक क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र के हर तबके की सेवा की है. प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर के दौरान आर्थिक और सामरिक क्षेत्र में योगदान दिया. वह एक शानदार सांसद थे, जो हमेशा पूरी तैयारी के साथ जवाब देते थे.”
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गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि. अमित शाह ने दुःख व्यक्त करते हुए लिखा कि” भारत रत्न प्रणब मुखर्जी एक शानदार नेता थे, जिन्होंने देश की सेवा की. प्रणब जी का राजनीतिक करियर पूरे देश के लिए गर्व की बात है. अमित शाह ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी ने अपने जीवन में देश की सेवा की, उनके निधन के बाद देश के सार्वजनिक जीवन को बड़ी क्षति हुई है.”
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि. रामनाथ कोविंद ने दुःख व्यक्त करते हुए लिखा कि “पूर्व राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के स्वर्गवास के बारे में सुनकर हृदय को आघात पहुंचा। उनका देहावसान एक युग की समाप्ति है। श्री प्रणब मुखर्जी के परिवार, मित्र-जनों और सभी देशवासियों के प्रति मैं गहन शोक-संवेदना व्यक्त करता हूँ.”
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“असाधारण विवेक के धनी, भारत रत्न श्री मुखर्जी के व्यक्तित्व में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम था। 5 दशक के अपने शानदार सार्वजनिक जीवन में, अनेक उच्च पदों पर आसीन रहते हुए भी वे सदैव जमीन से जुड़े रहे। अपने सौम्य और मिलनसार स्वभाव के कारण राजनीतिक क्षेत्र में वे सर्वप्रिय थे.”
“भारत के प्रथम नागरिक के रूप में, उन्होंने लोगों के साथ जुड़ने और राष्ट्रपति भवन से लोगों की निकटता बढ़ाने के सजग प्रयास किए। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के द्वार जनता के लिए खोल दिए। राष्ट्रपति के लिए ‘महामहिम’ शब्द का प्रचलन समाप्त करने का उनका निर्णय ऐतिहासिक है”