नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। तिब्बत पूरी दुनिया में अपनी अलग ही पहचान रखता है फिर वो चाहे आध्यात्मिक दृष्टि से हो या फिर पर्यटन की दृष्टि से. तिब्बत वैसे तो यह चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र है, लेकिन कई लोग इसे देश भी मानते हैं. जैसे कि हम सभी जानते हैं कि तिब्बत, भारत और चीन के मध्य में पड़ोसी देश है. क्या आपको पता है कि तिब्बत के ऊपर से हवाई जहाज नहीं उड़ते हैं? दरअसल, इसके पीछे एक बेहद ही दिलचस्प सच्चाई छुपी हुई है, जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
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दुनिया की छत
आपको बता दें कि तिब्बत को हिमालय पर्वत का घर भी कहा जाता है. इसके पीछे का सिर्फ़ एक ही कारण है की यहां के पठार दुनिया में सबसे ऊंचे हैं. समुद्र से काफी ऊंचाई पर होने और विशालकाय पर्वत शृंखलाओं से घिरा होने के कारण तिब्बत को ‘दुनिया की छत’ भी कहा जाता है.
आखि़र क्यों नहीं उड़ते हवाई जहाज
तिब्बत पृथ्वी के उन विशेष भागों में से एक है जहां विमान की सेवा बहुत ही कम है. दरअसल,
ऊंचाई पर होने के कारण इसके ऊपर से विमानों का उड़ पाना असंभव सा है. जिस वजह से यहां विमानों की आवाजाही ना के बराबर ही है. वाणिज्यिक विमानों के लिए अनुमति दी जाने वाली उच्चतम ऊंचाई 28- 35,000 फीट (8000 मीटर) है. यही कारण है कि तिब्बत के ऊपर विमान नहीं उड़ते हैं. तिब्बत में हवा की कम होने की वज़ह से यह दुनिया के सबसे कम दबा क्षेत्र है. इसलिए यहां कोई हवाई जहाज उड़ पाना असम्भव है. अगर विमान यहां उड़े तो यात्रियों को अधिक समय तक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी, जबकि विमान से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि यात्रियों के लिए सिर्फ 20 मिनट तक ही ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा सकती है.
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विशेषज्ञों के मुताबिक, तिब्बत का वातावरण बाकी हवाई मार्गों की तुलना में बेहद ही अलग है. माउंट एवरेस्ट से नजदीकी होने के कारण यहां जेट धाराएं तेजी से चलती हैं और एक विमान के लिए इतनी तेज गति की धाराओं का सामना कर पाना मौत को गले लगाने के समान है. हालांकि यहां हवाई पट्टी है, लेकिन वो इतनी संकीर्ण है कि अब तक दुनिया के कुछ ही पायलट यहां विमान उतार पाने में सफल हो पाए हैं.