भानगढ़ के भूताह किले का रहस्य, देख कर दंग रह जाएंगे आप

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Bhangarh fort

नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। भारत का एक ऐसा किला, जहां प्रवेश करने वालों को पहले से ही चेतावनी दे दी जाती है कि सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद इस किले के आस पास भी ना दिखे अन्यथा
आपके साथ कुछ भी भयानक घट सकता है. भानगढ़ का नाम सुनते ही, भूताह का दहशत होने लगती है. कहा जाता है कि भानगढ़ के किले में और इसके आस पास के क्षेत्र में भूत प्रेत का बसेरा है. आपको बता दें कि भानगढ़ राजस्थान के अलवर जिले में है. बड़ी तादाद में लोग यहां घूमने के लिए आते है ,लेकिन शाम होने से पहले ही वापस चले जाते है. आस पास के लोगों का कहना हैं कि रात के वक़्त किले से पायल की आवाज़ आती है और घुंघरुओं की गूंज भी.

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किले के इतिहास

दरअसल, इस भानगढ़ जिले का निर्माण 16 वीं या 17 वीं सदी में हुआ था, लेकिन ये किला भूताह किला कैसे बन गया इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं. इस किले का निर्माण आमेर के राजा भगवानदास ने कराया था. भानगढ़ राजा मानसिंह के भाई माधोसिंह की राजधानी रहा. मानसिंह को अकबर का बहुत करीबी माना जाता था. भानगढ़ से पांच किलोमीटर दूर है सोमसागर तालाब, जिसके किनारे से एक पत्थर मिला था. इस पत्थर से पता चला कि माधो सिंह अकबर के दरबार में दीवान थे.

भानगढ़ की बर्बादी का श्राप

कहां जाता है कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नवती बहुत सुंदर थी और उनकी सुंदरता पर एक तांत्रिक भी फिदा थे. जिस दूकान से राजकुमारी के लिए इत्र जाता था, वह उस दूकान में गया और उस बोतल पर जादू कर दिया जो राजकुमारी के लिए भेजी जाने वाली थी. राजकुमारी को बोतल मिली तो सही लेकिन एक पत्थर पर गिरकर टूट गई. जादूगर ने ऐसा जादू किया था कि इत्र लगाने वाला उसे (जादूगर को) प्यार करने लगे. अब इत्र पत्थर को लगा था तो पत्थर ही जादूगर से प्यार में उसकी ओर चल पड़ा. पत्थर ने जादूगर को कुचल दिया लेकिन मरने से पहले उसने भानगढ़ की बर्बादी का श्राप दे दिया. कुछ वक्त के बाद एक युद्ध हुआ जिसमें भानगढ़ तबाह हो गया और यहां रहने वाले सभी लोग मारे गए. गांव वालों का मानना है कि राजकुमारी रत्नावली दोबारा किसी जगह पर जन्म ले चुकी है और वह किसी दिन आकर भानगढ़ को श्राप मुक्त कर देंगी.

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भानगढ़ में एक और दंतकथा बताई जाती है कि यहां एक साधु रहते थे और महल के निर्माण के वक्त उन्होंने चेतावनी दी थी कि महल की ऊंचाई कम रखी जाए ताकी परछाई उनके पास तक ना आए. लेकिन बनाने वाले ने इस बात का ध्यान नहीं रखा और अपनी मर्जी से महल को बनाया. साधु ने गुस्से में श्राप दिया जिससे भानगढ़ तबाह हो गया.

भानगढ़ में पड़ा था अकाल

एक रहस्यम कहानी के मुताबिक बताया जाता है कि 1720 में भानगढ़ इसलिए उजड़ने लगा था क्योंकि यहां पानी की कमी थी. 1783 में एक अकाल पड़ा जिसने यहां रिहाइश को खत्म कर दिया और भानगढ़ पूरी तरह से उजड़ गया.

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