Rahasya : राम द्वारा शिव धनुष के टूटने पर क्रोधित क्यों हुए थे पशुराम

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नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। कहा जाता है कि पाशुराम भगवान विष्णु का ही अवतार थे. और
सीता स्वयंवर में राम द्वारा शिव धनुष तोड़ने पर परशुराम क्रोधित होकर राजा जनक के महल में आए थे. उसके बाद महल में सभी से शिव धनुष के बारे में पूछने लगें. पहले तो भगवान राम ने अपनी विनम्रता से उनके क्रोध को शांत करने की कोशिश की और उनके प्रश्न का उत्तर देने दिया, और कहा हे नाथ! धनुष तोड़ने वाला आपका ही कोई सेवक होगा. यह सुनकर पशूराम क्रोधित हो गए और कहा सेवक तो सेवा करने वाला होता है लेकिन शिव धनुष तोड़ने वाला सिर्फ़ शत्रु होता है.

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यह संवाद सुनते ही लक्ष्मण बोले उन्होंने बचपन में बहुत से धनुष तोड़े हैं, तब तो ऋषिवर ने कभी इतना क्रोध नहीं किया.. इस धनुष से इतनी ममता क्यों? उन्होंने कहा धनुष तो भगवान राम के हाथ लगते ही टूट गया. इसमें उनका कोई दोष नहीं है. कहा जाता है कि परशुराम एक अत्यंत क्रोधी ब्राह्मण थे. वह अपने क्रोध के लिये विश्वविख्यात थे.

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उसके बाद भगवान राम के विनम्रता से भरी बातें सुन कर वह समझ गए की शिव धनुष तोड़ने वाला कोई साधारण व्यक्ति नहीं जो सकता. तब उनकी समझ में आया कि यह तो साक्षात प्रभु राम हैं. परशुरामजी बोले – प्रभु, क्षमा करना, मुझसे भूल हो गई, मैंने अनजाने में आपको बहुत से अनुचित वचन कहे।

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