एक ऐसी अनोखी झील का रहस्य, जहां तैरते हैं सैकड़ों कंकाल

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secret of such a unique lake where hundreds of skeletons swim
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नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। भारत में रहस्यों का खज़ाना हैं. प्रकृति में कई रहस्य आज भी अनसुलझे हैं. एक ऐसी झील जो सर्दियों के मौसम में पूरी तरह से बर्फ से ढक जाती है. फिर गर्मियों का मौसम आता है और धीरे-धीरे बर्फ पिघलने लगती है और उसी के साथ सैकड़ों नरकंकाल उभर आते हैं. इस झील का मंजर कुछ ऐसा होता है कि आप देखकर चौंक उठेंगे. यहाँ चारों तरफ मानव हड्डियाँ और खोपड़ियाँ बिखरी होती हैं. दरअसल ,हिमालय के ग्लेशियरों के गर्मियों में पिघलने से उत्तराखंड के पहाड़ों में बनने वाली छोटी सी झील हैं। यह झील 5029 मीटर ( 16499 फीट) की ऊचाई पर स्थित हैं , जिसके चारो और ऊंचे-ऊंचे बर्फ के ग्लेशियर हैं. उत्तराखंड में रूपकुंड झील है, जिसमें कई रहस्य दफ़न हैं. यह झील 2 मीटर गहरी है और हर साल कई ट्रेकर्स और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है.

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78 साल पहले सैकड़ों नरकंकालों से भरी मिली ये झील

यह झील टूरिस्टों और श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र है. यह लोग इस जगह पर मौजूद नरकंकालों को देख अचंभित होते हैं. रूपकुंड झील में मौजूद नरकंकालों की खोज सबसे पहले 1942 में हुई थी. आपको बता दें कि इसकी खोज एक नंदा देवी गेम रिज़र्व के रेंजर एच.के माधवल द्वारा की गई थी. इस जगह के बारे में नेशनल जियोग्राफी को पता चला तो, उन्होंने भी यहाँ अपनी एक टीम भेजी. उनकी टीम ने इस जगह पर 30 और कंकालों की खोज की थी. इसके अलावा यहाँ कुछ गहने, लेदर की चप्पलें, चूड़ियाँ, नाख़ून, बाल, मांस आदि अवशेष भी मिले है. जिन्हें संरक्षित करके रखा गया है. 

माता नंदा देवी का श्राप

स्थानीय लोगों के मुताबिक एक राजा जिसका नाम जसधावल था, वह अपनी गर्भवती पत्नी के साथ नंदा देवी की तीर्थ यात्रा पर निकला था. राजा को संतान की प्राप्ति होने वाली थी इसलिए वो देवी के दर्शन करना चाहता था. राजा बहुत जोरो-शोरों के साथ यात्रा पर निकले थे. स्थानीय पंडितों ने राजा को इतने भव्य समारोह के साथ देवी दर्शन जाने को मना किया. जैसा कि तय था, इस तरह के जोर-शोर और दिखावे वाले समारोह से देवी नाराज़ हो गईं और सबको मौत के घाट उतार दिया. राजा, उसकी रानी और आने वाली संतान को सभी के साथ खत्म कर दिया गया. मिले अवशेषों में कुछ चूड़ियां और अन्य गहने मिले जिससे पता चलता है कि समूह में महिलाएं भी मौजूद थीं.

जापानी सैनिक भटक गए थे रास्ता

इस झील से कई कहानियां प्रचलित हैं, जिसमें से एक ये भी है कि यहाँ पर मौजूद यह खोपड़ियाँ कश्मीर के जनरल जोरावर सिंह और उनके आदमियों की है. यह बात 1841 की मानी जाती है जब वह तिब्बत युद्ध के बाद वापिस लौट कर आ रहे थे. कहा जाता है कि वह बीच में ही हिमालय क्षेत्र में अपना रास्ता भटक गए और अचानक मौसम भी ख़राब हो गया. जिसके बाद वो लोग वहीं फंस गए और उनकी भारी ओलों की वजह से सबकी मौत हो गई.

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आख़िरकार उठ गया रहस्य से पर्दा

इतनी सारी प्रचलित कहानियों के बाद वैज्ञानिकों ने इस रहस्य के ऊपर से पर्दा उठा दिया. वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब 900 साल पहले यहां ओले पड़े और यहां रहने वाले सभी लोगों की मौत हो गई. कंगालों का DNA टेस्ट में यह बात साबित हुई कि यह हड्डियां 900 साल पहले की हैं. पहले वैज्ञानिकों ने इस बात पर इस जगह के रहस्य को खत्म कर दिया था कि रूपकुंड झील में करीब 200 नरकंकाल पाए गए हैं. यह सभी नरकंकाल 9वीं शताब्दी के समय के हैं, जो कि भारतीय आदिवासियों के हैं. इसके साथ यह भी कहा कि इन सभी लोगों की मौत भीषण ओलों की बारिश होने की वजह से हुई है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने शोध से यह निष्कर्ष निकाला कि ये कंकाल दो ग्रुप्स के हैं. जिसमें से एक ग्रुप में तो एक ही परिवार के सदस्य हैं. जबकि दूसरे समूह के लोग अलग हैं, क्योंकि इनके कद छोटे हैं.

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