नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। भारत संस्कृति में कई ऐसे रहस्य और अनछुए पहलू है, जिनका पता आजतक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं. ये ऐसे रहस्य हैं जिनका पता लगाना शायद नामुंकिन है, वैज्ञानिकों ने इन रहस्यों का पता लगाने की लाख कोशिश की लेकिन फिर भी उनके हाथ नाकामी के सिवा कुछ भी नहीं लगा. ऐसा ही रहस्य धर्मनगरी द्वारका का भी हैं, जिसका आज तक कुछ पता नहीं चला. भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा – वृंदावन के बाद द्वारका में अपनी नगरी बसाई थी. वहीं द्वारका जो आज गुजरात की शान है. कहा जाता है कि समुन्द्र में समाई यह नगरी द्वापर युग से कान्हा द्वारा बसाई गई द्वारका ही है.
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समुद्र में आज भी है द्वारका की दीवार
द्वारका नाम को लेकर भी कई कहानियां प्रचलित हैं कहा जाता है कई द्वारों का शहर होने के कारण इसका नाम ‘द्वारिका’ पड़ा. इस शहर के चारों ओर बहुत ही लंबी दीवार थी जिसमें कई द्वार थे. ऐसा कहा जाता है वह दीवार आज भी समुद्र के तल में स्थित है.
द्वारका कल्पना नगरी से भी जानी जाती है
एक समय ऐसा भी था, जब लोग कहते थे कि द्वारका नगरी एक काल्पनिक नगर है, कोई यहां के रहस्यों पर विश्वास नहीं करता था, लेकिन इस कल्पना को सच साबित कर दिखाया ऑर्कियोलॉजिस्ट प्रो. एसआर राव ने.
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प्रो. राव और उनकी टीम ने 1979-80 में समुद्र में 560 मीटर लंबी द्वारिका की दीवार की खोज की. साथ में उन्हें वहां पर उस समय के बर्तन भी मिले, जो 1528 ईसा पूर्व से 3000 ईसा पूर्व के हैं. इसके अलावा सिन्धु घाटी सभ्यता के भी कई अवशेष उन्होंने खोजे. उस जगह पर भी उन्होंने खुदाई में कई रहस्य खोले, जहां पर कुरुक्षेत्र का युद्ध हुआ था.
दो तरह के द्वारका धाम मौजूद हैं.
कहा जाता है कि यहां दो तरह के द्वारका धाम है – एक गोमती द्वारका और दुसरा बेट द्वारका. गोमती को द्वारिका धाम कहा जाता है और बेट को द्वारका पुरी कहते है. जानकारी के मुताबिक बेट द्वारका के लिए समुद्र मार्ग से होकर गुजरना पड़ता है.