नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। (Rahasya) शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में विवाह संस्कार को बेहद महत्वपूर्ण बताया जाता है. इस संस्कार के तहत दो लोग जिंदगी भर के लिए एक-दूसरे से शादी के बंधन में बंध जाते हैं. कहते हैं कि विवाह दो आत्माओं का मिलन है. जिसमें समाज और अग्नि देव को साक्षी मानकर सात फेरे लिए जाते हैं. शादी में ही सात वचन भी लिए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी में सात फेरे ही क्यों लिए जाते हैं?
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दरअसल, हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है. कहते हैं विवाह में जब तक 7 फेरे नहीं हो जाते, तब तक विवाह संस्कार पूर्ण नहीं माना जाता. हर फेरे के साथ एक वचन भी होता है. अग्नि के 7 फेरे लेकर और ध्रुव तारे को साक्षी मानकर दो तन, मन एवं आत्मा एक पवित्र रिश्ते में बंध जाते हैं.
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भारतीय हिन्दू संस्कृति में संख्या 7 की काफी महत्व है. ये जीवन का विशिष्ट अंग माना जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि संगीत के 7 सुर, इंद्रधनुष के 7 रंग, 7 ग्रह, 7 ऋषि, सप्त लोक, सूरज के 7 घोड़े, सात धातु, 7 तारे, 7 दिन और 7 परिक्रमा का भी उल्लेख मिलता है. इसलिए विवाह के दौरान 7 फेरों और 7 वचन का बहुत महत्व है.
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