नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। (Rahasya) भारतीय हिन्दू संस्कृति में पूजा पाठ को ज्यादा महत्व दिया जाता है. वैसे तो प्राचीन काल से धर्म में सोलह संस्कार का जिक्र है लेकिन जनेऊ को हमेशा से सबसे पवित्र और शुभ माना गया है. दरअसल जनेऊ संस्कार की परम्परा का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि इसका वैज्ञानिक कारण भी है. लेकिन क्या आप जानते है कि जनेऊ धारण करने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या है?
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(Rahasya) शास्त्रों में जनेऊ को यज्ञ सूत्र और ब्रम्हा सूत्र भी कहा जाता है. कहते हैं कि व्यक्ति की देवत्त्व प्राप्ति के लिए जनेऊ सशक्त साधन है. शस्त्रों के अनुसार जनेऊ में तीन धागे का सूत्र ब्रम्हा, विष्णु और महेश का प्रतीक बताया गया है. जनेऊ को लेकर यह भी मान्यता है कि अविवाहित पुरुष तीन धागे वाला जबकि विवाहित पुरुष छह धागों वाला जनेऊ धारण करते हैं.
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जनेऊ और स्वास्थ्य का गहरा संबंध है. डॉक्टर्स के मुताबिक यह हृदय, आंतों और फेफड़ों की क्रियाओं पर इसका व्यापक असर पड़ता है. वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा करने से आंतों की गति पड़ती है और कब्ज की समस्या भी दुर रहती है. लंडन की क्वीन एलिजबेथ विश्वविद्यालय के भारतीय मूल के डॉक्टर एस आर सक्सेना के अनुसार हिन्दुओं द्वारा मल मूत्रकरते समय जनेऊ कान पर लपेटना वैज्ञानिक आधार है.
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